जब भी चाहूँ ,कर लेता हूँ अपने मन की !
शाबाश बहुत अच्छे
काजल माथे पर लगा, नजर नहीं लग जाय |किरण मिले रविकर चले, हरे अलाय-बलाय |हरे अलाय-बलाय, लाल का लाल किला यह |रहा खड़ा बतलाय, देश आजाद मिला यह |बच्चों रखो संभाल, चाल कुछ दुश्मन चलते |जिनके चलते आज, शान्ति के शिखर पिघलते ||
दोनों बंधुओं का आभार !
आभार !
शाबाश बहुत अच्छे
जवाब देंहटाएंकाजल माथे पर लगा, नजर नहीं लग जाय |
हटाएंकिरण मिले रविकर चले, हरे अलाय-बलाय |
हरे अलाय-बलाय, लाल का लाल किला यह |
रहा खड़ा बतलाय, देश आजाद मिला यह |
बच्चों रखो संभाल, चाल कुछ दुश्मन चलते |
जिनके चलते आज, शान्ति के शिखर पिघलते ||
दोनों बंधुओं का आभार !
हटाएंआभार !
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